✍️लो आ गया बसंत! कविता

#सतरंगी , इंद्रधनुषों से
घिरी हुई हूं मैं,
#जब से तुमने,
मुझे मेरे नाम से पुकारा है......

मैं #बसंत हुई,
महक रही हूं,
#जब से तुमने,
मेरे हाथों को छुआ है......

#पतंगों सा उड़ा मन,
खोई सुध बुध,
#जब से देखा तुमको,
कैसा ये मन बावरा है......

सुनी #सांसों की धड़कन,
#जब से तुम्हारी,
चेहरा सुर्ख गुलाल,
मन फाल्गुन हुआ है......

#ख्वाबों की दुनिया,
#जब से सजाई थी तुमने,
सारा आकाश जगमग,
दिल दिवाली हो रहा है......

English Blog by Manu Vashistha : 111090942

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