भूतकाल की भस्म लगा कर जा रहे हो तो सही जा रहे हो तुम
रेत के ढेर में समंदर को खोजने जा रहे हो तो सही जा रहे हो तुम
तूफानों के दिए हवा के जोको से डरा नहीं करते
बड़े अंधेरे कमरे में उजाला करते जा रहे हो तो सही जा रहे हो तुम।

Gujarati Good Evening by Bhole : 111085616

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now