न जाने सूरज आजकल क्यों नज़रें चुरा रहा है,
जहाँ देखो बस धुएँ जैसा कुछ नज़र आ रहा है।
दौड़ती है सिहरन बदन में इन सर्द हवाओं से-
अरे ! ये तो #सर्दी का मौसम रंग दिखा रहा है।।

अंशुल पाल 'रण'
जीरकपुर,मोहाली(पंजाब)

English Shayri by Anshul Pal : 111065174

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now