सफर इनका और मेरा
इतने सुबह-सुबह जगना उन्हे और मुझे पसंद है ।पर वो मुझ से भी जल्दी उठ जाती है, और निकल पड़ती है आपने भोजन की तलश मे मिलो दुर उसे मोसम का फार्क नही पड़ता क्या बरीश , क्या शीत सभी समान है उसके लिए।
उनका यहा कम में बचपन से देखकर सोचता हु कि रानी सुबहा से उड़कर जाती है पर श्याम होते ही फिर वापस आ जाती है ,तो एक दिन मैने पुछ ही लिया ,रानी तुम इतने दुर हमेशा जती हो आती हो तो आपना घर तुम उधर ही क्यु नही बना लेती हो।
उन्होने जवाब दिया में जने आने मे जो थकान है ,वो वापस आने मे गायब हो जाती है।मुझे यहा बहुत शंन्ति मिलती है।
मेने कहां एसा क्या है यहा पर
उन्होने कहां माँ की यादे ।
उनका जवाब सुनकर मेरे मुख से कोई दुसरा प्रश्न ही नही निकला.......

Hindi Blog by Sunilm Warkare : 111053931

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