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#ए मेरे #बचपन तू कहां खो गया।
#धीरे धीरे तू कितना #बड़ा हो गया।
#जिंदगी की #रेस में ये बचपन कहां खो गया।
#नानी सुनाती थी परियों की कहानी।
#और #दादी की वो मीठी लोरी सुहानी।
#बुआ ,मौसी की गोद छांव सुहानी।
#धीरे धीरे #सांझ की तरह ढल गया।
#ए मेरे बचपन तू कहां _____
#जिंदगी की रेस में ये बचपन कहां खो गया।
#मम्मी पापा का मेरे साथ खेलना।
#राह जीने की,पढ़ना,समझ, सीखना।
#छुप छुप के इमली वो कैरी का खाना।
#सब #बस्ते के नीचे धरा रह गया।
#ए मेरे बचपन तू कहां _____
#जिंदगी की रेस में ये बचपन कहां खो गया।
#नदी के किनारे मिट्टी के घर बनाना।
#फिर गुड्डे, गुड़ियों का ब्याह रचाना।
#बात बात में रूठना औे मनाना।
सब ना जाने कहां हवा हो गया।
#ए मेरे बचपन तू ______
#जिंदगी की रेस में ये बचपन कहां खो गया।

English Blog by Manu Vashistha : 111044861

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