बुँदे गिरी कुछ इस तरह कमीज़ पर,

समज नहीं आया बारिश थी की याँदे,

बधाई देता रहा सबको बारिश की,

पर आँखे कुछ और ही बयाँ कर गई,

ये आँखे भी ना यूही दगा कर गई ।।।

Hindi Shayri by Robin Rajput : 111035213

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