# KAVYOTSAV
ना चाहूँ
तू मुस्कान मीठी बन आता है
बैठ मेरे इन अधरों पर ,
ना चाहूँ मैं तो भी तू
स्मित रेखा सा खिंच जाता है |
तू आंसू खारे बन आता है
सूनी सी आँखों से झरकर ,
ना चाहूँ मैं तो भी तू
हर पीड़ा को हर लेजाता है |
तू भाव कोमल बन आता है
जीवन के कोरे कागज़ पर ,
ना चाहूँ मैं तो भी तू
गीत मधुर लिख जाता है |
तू डोर प्रेम की बन आता है
झीनी सी जीवन चादर को,
ना चाहूँ मैं तो भी तू
जाने क्यों सी जाता है |
तू श्वास स्वतः बन आता है
निष्प्राण सी काया को मेरी ,
ना चाहूँ मैं तो भी तू
प्राणों को स्पंदन से भर जाता है
तू विश्वास अडिग बन कर आता है
पत्थर सी इस माया नगरी में ,
ना चाहूँ मैं तो भी तू
घर को मेरे मंदिर कर जाता है |
तू प्रकाश निर्मल बन कर आता है
अंधियारे से मन में मेरे ,
ना चाहूँ मैं तू भी तू
विश्वास दीप रख ही जाता है |
तू सुख दुःख मेरे सुन जाता है
उलझे से इस जीवन ताने बाने को ,
ना चाहूँ मैं तो भी तू
सुलझा कर बुन जाता है |

Hindi Shayri by Amita Joshi : 111035120

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