वैष्णव जन तो तेने कहिये जे ', गुजरात के संत कवि नरसी मेहता द्वारा रचित यह भजन है जो महात्मा गाँधी को बहुत प्रिय था। इस भजन का एक-एक बोल गाँधीजी के जीवन पर खरा उतरता है, अगर कोई सांमने वाला आपको बार-बार नुकसान पहुँचा रहा है तो आप क्या करोगे ? गाँधीजी की सोच पर चलोगे? उससे प्यार से पेश आहोगें ?

आज का जमाना है, जैसा वो है, वैसा मैं हु
लवर का जमाना है, प्रेम वो है, वैसा मैं इश्क हु

शायद यही कारण रहा होगा, गोड़से ने सोच समझकर ही सही कदम उठाया होगा !!

Hindi Shayri by Mangi : 111035114

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