#kavyotsav

● जब वो पहली बार हंसी


भागी भागी मंदिर आई
पूजा की थाली संग लाई
पुष्प कली के संग आये थे
मोह लिया वे रंग लाये थे
बिन दस्तक दिल में धंसी
जब वो पहली बार हंसी।

गिरधर के उस आंगन में
मुरलीधर के प्रांगण में
उसने उसकी प्रीत चढ़ाई
मैंने मेरी नींद गंवाई
आँखों में आकर बसी
जब वो पहली बार हंसी।

हृदय मेरा पूजा घर था
उसमें उसकी मूरत थी
मैं उसका वो मेरी ना थी
मेरे मन उसकी सूरत थी
मीठे विष नागिन डसी
जब वो पहली बार हंसी।

उसमें ऐसा क्या पाया
ना जागा न सो पाया
वो सपना था इतना हसीं
जब खुला सांसें थमी
उसने फिरकी नजर कसी
जब वो पहली बार हंसी।

पहुंचा जब तक स्वयंवर में
वो जा बैठी मंडप में
दूजे कांटे मीन फंसी
फिर क्यों मेरे साथ हंसी
थी कैसी अनमोल घड़ी
जब वो पहली बार हंसी।



विनोद कुमार दवे
206,बड़ी ब्रह्मपुरी
मुकाम पोस्ट=भाटून्द
तहसील =बाली
जिला= पाली
राजस्थान 306707
मोबाइल=9166280718

Hindi Shayri by vinod kumar dave : 111034642

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