#Kavyotsav

कोई शिकायत नहीं रब से इस बेरुखी की,
हाथो छीन लेने की फितरत है मेरे नशीब की,

चलता है यही ज़िंदगी है , अभी बाकि ही कितनी है उम्र जीने की ?
छोटी सी उम्र है ,और क्या खुशियां मांगू ?
फुर्शत कंहा है पिछले गमो से बहार आने की ?

करता हूँ सलाम मेरे वह दोस्त को,
जिसने निभायी हर एक रश्म दुश्मनी की ,
फिर भी ज़िंदा है वह कंही मुजमे,
सायद बाकि रह गयी है सजा उसपे मरने की..

कोई शिकायत नहीं रब से इस बेरुखी की,
हाथो छीन लेने की फितरत है मेरे नशीब की,

हर बार लौटा हूँ मायुश होके ,उसके नए सहर से,
आरज़ू एक ही थी उसे आखरी बार देखने की,
बस, अब मैं थक गया हूँ,
अब उसकी बारी है मुझे याद करने की.

एक ही कलिमाह पढ़ता हूँ,
सायद कल याद करे वह हम्हे। . . .
और थोड़ी सांसे मिल जाये हिचकिया खाने की,

#Love #Sad #God #Wish

- Ssandep B Teraiya

Hindi Shayri by Ssandeep B Teraiya : 111031601

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